कई बार लोग हिन्दू धर्म और हिंदुत्व को एक ही मानते हैं, मगर ऐसा नही हैं. हिंदुत्व वीर सांवरकर द्वारा गढ़ी गई एक विचारधारा का नाम है उन्होंने कहा था सिन्धु नदी से समुद्र तट तक जो व्यक्ति इस भूमि को पितृभूमि और पुण्यभूमि स्वीकार करता है वही हिंदुत्व हैं. यह एक राजनीतिक विचारधारा भर थी जिसका जन्म १९२४ में सावरकर की किताब हिंदुत्व से होता हैं. जबकि सनातन हिन्दू धर्म तो ऋग्वैदिक काल से भी पुराना हैं. जो अपने आप में एक उपासना पद्धति अपने आचार विचार की प्रणाली हैं. इसलिए इन दोनों को एक समझने की बजाय दोनों को अलग अलग अर्थों में समझा जाना आवश्यक हैं.
1#. हिंदुत्व एक मजहब न होकर एक सभ्यता हैं इसकी श्रेष्ठ अभिव्यक्ति धर्म कह कर की जाती हैं.
2#. हिंदुत्व सत्य का धर्म हैं.
3#. हिन्दू धर्म का वर्णन एक शब्द में इस प्रकार किया जा सकता हैं- उचित कार्य करना.
4#. हिंदुत्व मानवीय विश्वास की पालना हैं.
5#. हिन्दू सभ्यता प्रधानतः रहस्यात्मकता की सीमा तक आध्यात्मिक हैं
6#. हिंदुत्व क्या हैं- मानवता का सबसे प्राचीन धर्म, भारतीय लोगों का धर्म, जैन सिख एवं बौद्ध धर्म का जन्मदाता, जीवन जीने की विचारधारा जो इस लोक और परलोक दोनों पर आधारित हैं.
7#. माला से तुम मोती तोडा ना करो, धर्म से मुहं तुम मोड़ा ना करो, बहुत कीमती है श्रीराम का नाम, श्रीराम बोलना कभी न छोड़ा करो.
8#. हिन्दुओं ने युगों युगों से धर्म प्रचार के लिए शस्त्र नही शास्त्र का साथ लिया, शस्त्र केवल धर्म रक्षा के लिए उठाए हैं.
9#. हिन्दू धर्म उदारवादी है कट्टर नही, हिन्दू धर्म मानवता वादी है वर्गवादी नही, हिन्दू धर्म विकासवादी है जडवादी नही, हिन्दू धर्म विज्ञान सम्मत है अवैज्ञानिक नही, हिन्दू धर्म सर्वमंगलकारी है, सम्प्रदायवादी नही, हिन्दू धर्म लोकतान्त्रिक हैं अधिनायकवादी नही. अज्ञान से हिंदुत्व की ओर चले विश्व को शांतिमय और आनंदमय बनाए, हिंदुत्व को समझे माने और जीयें.
10#. देश काल परिस्थिति अनुसार दर्शन और विधि, आचार्य धर्म सबने अलग अलग बताया हैं, और इसलिए मूलभूत एकता को देखकर साथ चलना इस स्वभाव का नाम हिंदुत्व हैं.
हिंदुत्व पर सुविचार
हिंदुत्व शास्त्रों की आस्था है। धार्मिक मान्यता के साथ-साथ प्राचीन काल की अभिव्यक्ति है।
देश के एकत्व भाव की धारा हिंदुत्व में समाहित है। समाज की मूल धारा धर्म स्वरूप हिंदुत्व के रूप में दर्शित होती है।
चिरकाल से चली आ रही धर्म की रीति रिवाजों की कड़ी हिंदुत्व की देन है जिसमें समाज के लोगों के बनाए गए अनेक नियम दर्शित होते हैं।
विश्व की लोकप्रिय धर्मावली सभ्यता के रूप में हिंदुत्व का नाम अग्रणी है जो उदारवादी दृष्टि रखता है जिसमें विकास की छाप है, विज्ञान के संदर्भों के साथ-साथ मानवीय मान्यताओं को भी स्थान देता है।
हिंदुत्व लोगों द्वारा अपनाया गया मंगलकारी धार्मिक स्वरूप है जो एक लोकतंत्र की स्थापित प्रवृत्ति को समक्ष लाता है एवं धर्म के मूल तथ्यों से अवगत कराता है।
हिंदुत्व में धार्मिक अभिव्यक्ति के लिए शास्त्रों की मान्यता को सर्वोपरि माना गया है। समाज में हिंदू धर्म की अलौकिक व लौकिक दोनों की अभिव्यक्ति को महत्वपूर्ण माना गया है।
प्राचीन काल से वर्तमान काल तक हिंदुत्व की अनेक धाराएँ धर्म का मूल स्वरूप प्रतिपादित करती हैं जो शास्त्रों की विशिष्ट बातों को समक्ष लाती हैं।
ईश्वर की कृपा, मानवीय श्रद्धा हिंदुत्व के नाम से जुड़ी हुई है जो हिंदू धर्म के करोड़ों देवी देवताओं की आस्था का विश्वास स्वरूप प्रस्तुत करते हैं जो महत्वपूर्ण है।
धर्मों की भीड़ में हिंदू की अपनी एक पहचान है जहाँ सच का वास होता है और भक्ति का अनमोल रूप प्रस्तुत होता है।
हिन्दू धर्म का मूल उद्देश्य है अपने कर्मों का उचित प्रयोग करना एवं अपने अच्छे कर्मों से हिंदुत्व की नींव को सुदृढ़ करना।
विश्वास धर्म की नींव है और हिंदुत्व स्वरूप इस विश्वास को मानवीय रूपों में पालन करें तो सर्वोच्च स्थान को अंजाम दिया जा सकता है।
हिंदुत्व में आध्यात्मिक चेतना के विभिन्न आयाम प्रस्तुत होते हैं जो मनुष्य के अंतर्मन को आलोक प्रदान करते हैं।
भारतीय सभ्यता में हिंदू धर्म की नींव काफी पुरानी है जो समाज में धर्म के विकास का प्रारूप साबित होती है। मनुष्य के जीवन अनुभव के अवचेतन मन से हिंदुत्व की डोर जोड़ी है जो मानव कल्याण स्वरूप संसार की धार्मिक रीति से संबंधित है।
जिंदगी के कई अध्याय हिंदुत्व की डोर से जुड़े हैं जो जीवन को जीने की कला सिखाते हैं एवं अहिंसा व विश्वास के मार्ग की ओर प्रशस्त करते हैं।
हिंदुत्व में अन्य धर्मों का मान है जो सर्व धर्म की एकत्व भावना को दर्शाते हैं एवं सभी के प्रति मान सम्मान के भाव को अपनाते हैं। एकता स्वरूप हर धर्म को खुद से जुड़ा महसूस करते हैं एवम् सभी धर्म के प्रति उनके महत्व को जताते हैं।
हिंदुत्व में मनुष्य की आस्था स्वरूप ईश्वर के नामों का बखान है जो मनुष्यों की ईश्वरीय भक्ति और देवी देवताओं की गाथा का पवित्र समागम है।
हिंदुत्व का मूल धर्म उसकी श्रद्धा एवम् समर्पण भावना में निहित है जो मनुष्य की सच्ची आस्था का द्योतक होती है।
भारतवर्ष में हिंदुत्व की छाप सदियों पुरानी है जो अनेक कहानियों का लेखा-जोखा है जिसमें इतिहास रचा है एवं हिंदू धर्म के महत्व का संदर्भ समाहित है।
हिंदुत्व की सम्मान की भावना दूसरों के सम्मान में दर्शित होती है। अपने धर्म के प्रति सच्ची आस्था मानवीय मूल्यों की पहचान होती है।
हिन्दू धर्म के लिए सच्चा हिंदुत्व भाव सर्वोपरि माना जाता है जो मानव कल्याण से जुड़ा हुआ है ।
हिन्दू धर्म के लिए सच्चा हिंदुत्व भाव सर्वोपरि माना जाता है जो मानव कल्याण से जुड़ा हुआ है।
हिंदुत्व की नींव हिंदू धर्म को चलाने वालों व मानने वालों के कर्मों से जुड़ी है।
शूरवीरों की गाथा का धर्म हिंदू धर्म अपने हिंदुत्व की भावना से ओतप्रोत है।
हिंदुत्व का साम्राज्य असीमित है जो सभी धर्मों के मान का ख्याल कर अपनी विशेष उपाधि को समक्ष लाता है।
हिंदुत्व की भावना हिंदू धर्म के साथ-साथ अपने वतन हिंदुस्तान से जुड़ी है जो मज़बूत है एवं कई आयाम को मुकाम देती है।
हिंदू धर्म सर्वव्यापी है जिसमें सभी लोगों के हित की बात होती है। स्वार्थ से परे अपनत्व की भावना का समावेश होता है।
एक दूसरे की सहायता का भाव हिंदुत्व के स्वरूप में दिखाई देता है।
हिंदुत्व में मानव व धर्म कल्याण की बात कही जाती है जो महत्वपूर्णता का रूप प्रतिपादित करती है।
जहाँ आज़ाद हिन्द की बात होती है एवम् गर्व से जिसमें शंखनाद की स्वर ध्वनि प्रसारित होती है ऐसे हिंदुत्व की अपनी पहचान होती है।
अपने हिंदुत्व को गर्व की भावना से जाने न कि गलानिर्भाव से भरें क्योंकि हिंदुत्व समाज अपना अलग मोल स्थापित करता है।
हिंदुत्व यूँ ही महान नहीं होता है बल्कि दृष्टि व दृष्टि कोण में मान सम्मान की भावना होनी चाहिए।
हिन्दू धर्म अपनी महत्ता रखता है लेकिन अन्य धर्म भी महत्वपूर्ण हैं ऐसी सोच का रूप हिंदुत्व में नज़र आता है जो सच्चे हिंदुत्व के रूप को दर्शाता है।
हिंदुत्व कभी दुराचारी का साथ नहीं देता बल्कि अत्याचार के खिलाफ कदम उठाता है और आपत्तियों से गलत सोच को सही सोच की ओर प्रेरित करता है।
प्राचीन धार्मिक ग्रंथ, शास्त्र, पुस्तकें, अभिलेख हिंदुत्व की गाथा कहते हैं जो वर्तमान में महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
हिन्दू धर्म ने कितनी रीति रिवाजों को जन्म दिया एवम् कई कुरीतियों को बदला और नया रूप प्रस्तुत किया।
हिंदुत्व अपनी त्याग भावना व समर्पण के लिए महत्व रखता है।
हिंदुत्व में आपसी भेदभाव का भाव नहीं होता बल्कि श्रद्धा का भाव मूर्ति पूजा के ज़रिए पत्थर में भी ईश्वर स्वरूप के दर्शन कराता है।
हिंदू धर्म धार्मिक आस्था समक्ष रख अपनी प्रेम भावना को जगाता है और बैर की भावनाओं को महत्व नहीं देता है।
हिंदुत्व के सही अर्थ को जाने समझने वाला हिंदू धर्म की वास्तविक अनुभूति कर सकता है।
हिंदू धर्म हिंदुस्तान के झंडे को कभी झुकने नहीं देते, वीरों की भाँति हिंदुत्व की भावना से ऊँचा रखते है।
हिंदुत्व में देश की संस्कृति, भारत के धार्मिक आलेख, मानव के विचारों की प्रेरणादायक किस्से एवं महापुरुषों की गाथा समाहित है।
हिंदुत्व में प्रेम की भावना बसती है। आपसी मेलजोल की अथक लहर लहराती है जो मेल करना सिखाती है और एक दूसरे के सुख दुख का साथी बनना सिखाती है।
हिंदुत्व में जितना प्रेम है उससे अधिक अपने हिंदुस्तान की भक्ति है जिसका उद्घोष मुसीबत आने पर जान गवाने से भी पीछे नहीं हटता है।
हिंदुत्व में राम राज्य की गाथा है तो कृष्णा की लीलाएँ हैं, शिव पार्वती की महिमा है तो ब्रह्मा विष्णु की भक्ति है साथ ही कई त्यौहारों की आपसी सद्भावना मिलती है।
हिंदुत्व अपनी माँ की धरा पर जीता भी है और माँ की खातिर मर भी जाता है अपने आत्मसमर्पण की ज्योति दिखला जाता है।
हिंदुत्व का तन – मन – धन जात पात से परे एकता की भावना को प्रोत्साहित करता है।
मनुष्य में अगर बात मान की हो या मर्यादा की हिंदुत्व की बात हो तो सीमा नहीं लांघी जाती है, सकारात्मक पहलू का रूप अपनाया जाता है।
हिंदुत्व में हिंदुस्तान की देश भक्ति होती है। हिन्दू धर्म में भक्ति का सार होता है।
हिंदुत्व में अपनी मातृभाषा का प्यार बसता है। हिन्दू के रूप में हिंदुस्तान बसता है। जो एक सैनिक का रूप प्रस्तुत करता है तो कभी रक्षक साबित होता है।
हिन्दू धर्म में पवित्र ग्रंथ गीता पुराण है।
हिंदुत्व को गौरव पूर्ण बनाना चाहिए। घमंड की भावना से दूर सही विचार धाराओं का समावेश करना चाहिए।
संसार में हिंदुत्व की भावना जागृत होती है जैसे सभी धर्मों की एकता भरी वाणी बोलती है।